Maharashtra News: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 से पहले महायुति गठबंधन के लिए मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के सहयोगी प्रहार जनशक्ति पक्ष पार्टी के नेता बच्चू कडू ने गठबंधन को अल्टीमेटम दे दिया है। उनका कहना है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे गठबंधन से अलग हो सकते हैं।
बच्चू कडू की नाराजगी और महायुति के लिए मुश्किलें:
प्रहार जनशक्ति पक्ष पार्टी के अध्यक्ष और विधायक बच्चू कडू ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में आम जनता के लिए अच्छे दिन नहीं आए हैं। उनका आरोप है कि दिव्यांगों के लिए कोई सरकारी नीति नहीं बनाई गई है, और युवाओं के लिए नीतियां तो हैं, लेकिन उन्हें बजट का समर्थन नहीं मिल रहा है। बच्चू कडू ने साफ कहा कि अगर महायुति सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो वे गठबंधन से अलग होकर अपना रास्ता तलाशेंगे।
प्रमुख मांगें जो बढ़ा सकती हैं सरकार की चिंता:
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करना: बच्चू कडू की मांग है कि सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को तुरंत स्वीकृत कर लागू करे।
- कृषि कार्यों का सरकारी संरक्षण: उन्होंने मांग की है कि बुआई से लेकर कटाई तक के सभी कृषि कार्यों को मनरेगा या राज्य रोजगार गारंटी योजना के तहत किया जाए।
- प्याज की गारंटी और NAFED का हस्तक्षेप: बच्चू कडू ने NAFED के हस्तक्षेप को रोकने और प्याज की गारंटी देने की मांग की है।
- किसानों के लिए ऋण माफी: किसानों की ऋण माफी के साथ अगले दो वर्षों तक 50% ऋण मूलधन और ब्याज माफ करने की मांग की गई है।
- दिव्यांगों के लिए विशेष योजनाएं: बच्चू कडू ने दिव्यांगों के लिए 5% आरक्षण, अलग स्टॉल नीति, और सामाजिक सुरक्षा वजीफा की मांग की है।
- शहरी और ग्रामीण विकास में समानता: उन्होंने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को समान धनराशि देने की बात कही है, साथ ही शहीदों के परिवारों, पूर्व सैनिकों और किलों के लिए अलग नीति बनाने की मांग की है।
क्या होगा महायुति का भविष्य?
बच्चू कडू के इस अल्टीमेटम से महायुति में उथल-पुथल मच गई है। महाराष्ट्र चुनाव से पहले गठबंधन के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि महायुति सरकार बच्चू कडू की मांगों पर क्या रुख अपनाती है, और क्या इससे चुनावों में गठबंधन की स्थिति पर कोई प्रभाव पड़ेगा।